मानवीय अहंकार और आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने आज ही के दिन 6 अगस्त 1945 को पूरा का पूरा शहर तबाह कर दिया था ।
लाखों हँसते खेलते लोगों की ज़िंदगी तबाह कर आख़िर किसी को क्या हासिल हुआ होगा...! और तो और हमने हिरोशिमा और नागाशाकी की भयंकर विनाश लीलाओं से अभी तक कोई सबक भी तो नहीं सीखा, ये इस घटना का सबसे दुखद पहलू है |
दुनियाँ में मिसाइलों और परमाणु हथियारों कीमानो होड़ लगी हुई है,हर कोई परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बनना चाहता है, कोई आत्मरक्षा के लिएतो कोई अपने अहम् की संतुष्टि के लिए !
परमाणु संपन्न होना एक स्टेट्स सिम्बल बन गया है,जिस देश ने परमाणु बम बना लिया,समझो वह वैश्विक शक्ति बन गया |
किन्तु ज़रा सोचिए, वह शक्ति किस काम कि जो हमें विनाश की ओर ले जाए | दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत भी महाशक्तिबनना चाहता है लेकिन हम महाशक्ति बन के करेंगे क्या?अमेरिका की तरह दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे या चीन की तरह दुनिया को धमकाएंगे ? नहीं भारत ऐसी महाशक्ति नहीं बनेगा ।
भारत अपनी सॉफ्ट पॉवर (भाईचारा और विश्व बंधुत्व की भावना, योग, ध्यान और समष्टि के हित का चिंतन करने की प्रवृत्ति के बल पर अपने आप को महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा और हमारी यही सॉफ्ट पॉवर की शक्ति विनाश के कगार पर खड़े विश्व को बचा सकती है) से ही इस वैश्विक संकट में फँसी मानवता को मुक्त कर सकती है,वरना अहम की इस लड़ाई में दुनिया वैसे भी काल के गाल तक पहुंचने ही वाली है ।