Saturday, August 6, 2016

भारत की “सॉफ्ट पॉवर” ही बचाएगी दुनिया...

मानवीय अहंकार और आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने आज ही के दिन 6 अगस्त 1945 को पूरा का पूरा शहर तबाह कर दिया था ।

लाखों हँसते खेलते लोगों की ज़िंदगी तबाह कर आख़िर किसी को क्या हासिल हुआ होगा...! और तो और हमने हिरोशिमा और नागाशाकी की भयंकर विनाश लीलाओं से अभी तक कोई सबक भी तो नहीं सीखा, ये इस घटना का सबसे दुखद पहलू है |

दुनियाँ में मिसाइलों और परमाणु हथियारों कीमानो होड़ लगी हुई है,हर कोई परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बनना चाहता है, कोई आत्मरक्षा के लिएतो कोई अपने अहम् की संतुष्टि के लिए !
परमाणु संपन्न होना एक स्टेट्स सिम्बल बन गया है,जिस देश ने परमाणु बम बना लिया,समझो वह वैश्विक शक्ति बन गया |
किन्तु ज़रा सोचिए, वह शक्ति किस काम कि जो हमें विनाश की ओर ले जाए | दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत भी महाशक्तिबनना चाहता है लेकिन हम महाशक्ति बन के करेंगे क्या?अमेरिका की तरह दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे या चीन की तरह दुनिया को धमकाएंगे ? नहीं भारत ऐसी महाशक्ति नहीं बनेगा ।

भारत अपनी सॉफ्ट पॉवर (भाईचारा और विश्व बंधुत्व की भावना, योग, ध्यान और समष्टि के हित का चिंतन करने की प्रवृत्ति के बल पर अपने आप को महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा और हमारी यही सॉफ्ट पॉवर की शक्ति विनाश के कगार पर खड़े विश्व को बचा सकती है) से ही इस वैश्विक संकट में फँसी मानवता को मुक्त कर सकती है,वरना अहम की इस लड़ाई में दुनिया वैसे भी काल के गाल तक पहुंचने ही वाली है ।


Sunday, February 14, 2016

प्रेम को कितना समझते हो आप

वर्तमान में जो प्रेम की परिभाषा,स्वरुप और संरचना है उसके परिणाम के रूप में उतावलापन ,फूहड़ता, अवसाद ,आत्महत्या जैसी विकृतियाँ पैदा हो रही है|वास्तव में प्रेम वो है जो प्रेरित करे | जिसमे अपनापन ,कनेक्टीविटी और प्रोडक्टिविटी हो ,जो हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को उत्साह और सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण कर दे |प्रेम, निर्माण की प्रथम सीढ़ी है | बिना प्रेम किये पूर्णता नही आती, हम संवेदनशील नही बन पाते और हमारे भीतर सद्गुणों का विकास नही हो पाता | हमारी गुणवत्ता का विकास नही होगा |

Friday, February 3, 2012

कान्हा मेरे पीछे आओ

कान्हा मेरे पीछे आओ ,  कैसे हाथ छुडाओगे तुम 
               जब जग वाले पीड़ा देगे , तब तो पीछे आओगे तुम |
माना तुम इस जग के शिल्पी ,तुम जैसा कोई ना दूजा 
सारी दुनिया तुम्हे पूजती ,मै ना जानू तेरी पूजा |
भटक रहा हूँ भवसागर में कैसे पर लागाओगे तुम || ....कान्हा मेरे ..
अगर नही अपनाओगे तो मेरे सपने कौन बुनेगा
मेरे अंतर्मन की पीड़ा बिना तुम्हारे कौन सुनेगा |
बोलो कब निज दास बनाने वृन्दावन बुलवाओगे तुम || कान्हा मेरे .......
कान्हा जब  तुम कृपा करोगे   भवसागर से तर जाउगा 
युगल छवि का ध्यान लगाकर भक्तिभाव में भर जाउगा |
बोलो ऐ मनमोहन किस पल मुरली मधुर सुनाओगे तुम || कान्हा मेरे ....

Friday, January 20, 2012

सलमान रुश्दी का डर

२० जनवरी से शुरू हो रहे जयपुर साहित्य महोत्सव में जाने -माने अंग्रेजी उपन्यासकार सलमान रूश्दी नही आयेगे , राजस्थान सरकार के दवाव के चलते जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों ने रूश्दी कि प्रस्तावित भारत यात्रा रद्द कर दी है | हलाकि   सलमान रूश्दी अप्रवासी भारतीय हैं ,इस कारण वो बिना वीजा के भारत आ सकते हैं |   
    यह कोई सामान्य बात नही है  ,बल्कि अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता  के नाम पर हल्ला मचाने वाले कम्यूनिस्टों  के गाल पर जोर दार तमाचा है , और मजे की बात यह है रूश्दी के अपने देश में उनका पक्ष रखने वाला कोई नही है | गौरतलब है कि कुछ समय पहले मशहूर चित्रकार एम् .एफ . हुसैन  ने हिन्दू देवी -देवताओं की नग्न कलाकृतियाँ बनाई थी , और जब देश में उनका विरोध हो रहा था ,तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तथाकथित पैरोकारों ने गला फाड़ -फाड़ कर हंगामा मचाया था | इतना ही नही हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने उनके निधन को राष्ट्रीय छति बताई थी | 
          सलमान रूश्दी १९८९ में प्रकाशित अपने उपन्यास सैटनिक वर्सेस के कारण विवादस्पद जरूर है ,लेकिन उनको इस्लाम विरोधी कहना गलत है , फिर उनके उपन्यास को छपे कई वर्ष हो गए, और इस अवधि में वो कई  बार भारत आ चुके है , तब उनका विरोध क्यों नही किया गया ? रूश्दी ने अंग्रेजी साहित्य का भारतीयकरण किया , जिसके कारण भारतीय अंग्रेजी उपन्यास ने एक वैश्विक पहचान बनाई ऐसे में भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में इस महान लेखक का अपमान असहनीय है |

      फिर उनका विरोध कर कौन रहा है ? कुछ धार्मिक और कट्टरपंथी संगठन ,जिनको अंग्रेजी साहित्य की बिलकुल भी समझ नही   है | क्या ऐसे लोगों को साहित्य विश्लेषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा तय करने का अधिकार देना उचित होगा ?क्या भारत  के अन्दर किसे आना है और किसे नही  इसका फैसला ये कट्टरपंथी संगठन करेगे ??
    इन सबके बीच भारत सरकार का रवैय्या बहुत ही कायरतापूर्ण और निंदनीय है |  , दरअसल सरकार को लगता है कि अगर उसने 
     कट्टरपंथियों कि बात नही मानी तो उसके मुस्लिम वोट कट जाएगे | देश कि संप्रभुता कि रक्षा के लिये सरकार को इन संगठनों के खिलाफ ठोस कार्यवाही करनी चाहिए | और वाकई अगर उसे मुस्लिम वोटों कि चिंता है तो उसे एक आम मुसलमान की रोजमर्र्रा की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए | सरकार ये सुनिश्चित  करे  कि देश के हर गरीब चाहे वह किसी भी धर्म का अनुयायी हो ,उस की जीवन कि बुनियादी जरूरत पूरी कि जा सके | 
 ये वही सरकार है जिसने कुछ समय पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रहे योग गुरु बाबा राम देव एवं उनके अनुयायियों के खिलाफ जिनमे  महिलाये व बच्चे भी शामिल थे  आधी रात लाठी चार्ज किया था | फिर ऐसा साहस इन राष्ट्र विरोधी ताकतों के सामने क्यों नही दिखाया जा सकता ?

Thursday, November 24, 2011

आज़ादी इनकी नज़रों में


     आप अपने देश की आज़ादी का मजाक क्यों  उड़ा हो ??

भिखारी बोला -
                बेटे , मेरे पास तुम्हारे सारे प्रश्नों का हल है ,
                सामने फुटपाथ पर एक नल है ,,
                जिसमे  नहाकर मै रोज़ सुबह भीख मागने जाता हूँ ,
                अपनी  अंतर्व्यथा संवेदन हीन  समाज को सुनाता हूँ |
                कभी कम भीख  मिलती है ,कभी मेरे अधरों पर मुस्कान खिल जाती है ,
                जिस दिन मुझे मेरे निर्वाह के लिये पर्याप्त भीख मिल जाती है ,,
               और मेरा बेटा भर -पेट खाना -खाकर चैन की नीद सोता है ,
               वही दिन हम भिखारियों का स्वाधीनता दिवस होता है ||||
उसकी बातों ने मुझे आज़ादी के जश्न से दूर  सा    कर  दिया ,
पंद्रह अगस्त की समीक्षा करने पर मजबूर सा कर दिया |
लगा  आजकल हर-तरफ अराजकता का शंख नाद है ,
 पता नही लोगों को क्यों लगता है ,भारत आजाद है ?
गाँधी वाले युग को देखकर हमारा साहस छूटता था ,
तब कोई विदेशी आकर हमारे देश की आवरू को लूटता था |
आजकल फिर वही पुराने अंकुर फूट रहे हैं ,
आज़ादी के पहले विदेशियों ने लूटा ,और अब हमारे अपने हमारे देश को लूट रहे हैं ||

Monday, May 9, 2011

इतने सालों बाद जब वो दिखे मुझे उन सूनसान सड़को पर ,,,
यूँ लगा फिर लौट आई जान उन सूनसान सड़को पर /
उनसे मुलाकात करू चाह मन में जग उठीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने सोचा ऊपर वाला फिर लेगा मेरे सब्र का इन्तिहान इन्ही सड़को पर I
पर न तुमने पलट के देखा मेरी तरफ ... न ही तुम्हारे लबों पर मुस्कान खिली ....
तुम रूठ गयी हो शायद ये फरमान मिला मुझे उन सूनसान सड़को पर IIIIIIII
तुम्हारी आँखे ने मुझे दे दी थी इजाजत..... इजहारे -इश्क करने को ,,,,,
पर होठ कायर थे ,, जो बयाँ न कर सके हाल -ए - दिल ,,
और टूट के बिखर गए मेरे सरे अरमान उन्ही सूनसान सड़को पर IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII

Wednesday, April 6, 2011

अपनों का साथ ................

अपनों का साथ हमारा आत्मविश्वास बढाता है ,,,,,,
अपनों का साथ हमारे भीतर छिपी उम्मीदों को जगाता है /
अपनों का साथ हमारे जीवन में खुशियों को चुन-चुन कर
उन्हें फूलों के गुलदस्तो की तरह महकता है .........../
अपनों का साथ राह के पड़े हम जैसे पत्थरों को
कोहिनूर की तरह चमकता है,,,,,/
इसीलिए बिना अपनों के
ये जिन्दगी अधूरी है,,,,,,,,,,,,,,,,,
अगर जीवन में कुछ पाना चाहते हो तो ,,
अपनों का साथ होना बेहद जरुरी है .........../

.

Monday, March 14, 2011

तुम कहोगी तो

तुम कहोगे , तो मुस्कुरायेगे,
तुम करोगे, तो याद आयेगे............
दिल में चाहत के कुछ तराने हैं ,
तुम कहोगे तो गुनगुनाएगे...................
तेरी मर्जी से जी रहे है हम
तुम कहोगी तो मर भी जायेगे.........................

Sunday, March 13, 2011

हाल -ए दिल

१.मुझे देखकर तुम जब यूँ मुस्कुराती हो
मै सोचता हूँ पता नही तुम मुझे देखकर मुस्कुरा रही हो
या फिर तुम्हें आदत है मुस्कुराने की,,,,,,,,,,,,
तुमसे अपना हाल - ऐ-दिल कह सके
लबो में हिम्मत कहा इतनी,
तुम्हे देखकर दिल ने सिर्फ चाहत की है,
तुम्हे पाने की................
मेरी फितरत है की मै जी भर के निहारु तुझको
पर पता नही क्यों इतनी जल्दी रहती है , तुझे घर जाने की..............
बिन तेरे अब तो अखरता है हर मंजर , हर लम्हा मुझको
इसलिए मैंने जुर्रत की है तेरी तस्वीर मेरे दिल में बसाने की....................
जब से देखा है तुझे भूल गया हूँ,,,कि मेरा भी बजूद है कुछ,,,,,,,,,
अब तो बस आदत सी हो गयी है ,खुद को भूल जाने की...............................