कान्हा मेरे पीछे आओ , कैसे हाथ छुडाओगे तुम
जब जग वाले पीड़ा देगे , तब तो पीछे आओगे तुम |
माना तुम इस जग के शिल्पी ,तुम जैसा कोई ना दूजा
सारी दुनिया तुम्हे पूजती ,मै ना जानू तेरी पूजा |
भटक रहा हूँ भवसागर में कैसे पर लागाओगे तुम || ....कान्हा मेरे ..
अगर नही अपनाओगे तो मेरे सपने कौन बुनेगा
मेरे अंतर्मन की पीड़ा बिना तुम्हारे कौन सुनेगा |
बोलो कब निज दास बनाने वृन्दावन बुलवाओगे तुम || कान्हा मेरे .......
कान्हा जब तुम कृपा करोगे भवसागर से तर जाउगा
युगल छवि का ध्यान लगाकर भक्तिभाव में भर जाउगा |
बोलो ऐ मनमोहन किस पल मुरली मधुर सुनाओगे तुम || कान्हा मेरे ....